"यार सोनू..! फ़ौज में कुछ मिले न मिले (सैलरी बहुत कम होती है ) लेकिन एक बात ज़रूर है की बाहरी दुनिया में इज्ज़त बहुत मिलती है "
ये कथन है मेरे एक मित्र की लेकिन जिस तरह से हाल के दिनों में सेना प्रमुख और उसकी साख़ पर सवालियां निशान लग रहे हैं उससे ऐसा लग है की वो एक मात्र रुतबा भी उससे छिनता जा रहा है.
ये कहानी केवल एक फौजी की नहीं , बल्कि अपने घर से मीलों दूर हजारों लाखों सैनिको की है जो आज अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं.
जनवरी की रात सेना की दो टुकड़ी दिल्ली की ओर कूच कर रही थी ,बकौल कुछ लोग और मीडिया के मुताबिक ये दिल्ली में कोई अप्रिय घटना को अंजाम देने के लिए था.!
हलाकि , रक्षा मंत्रालय, रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री के बाद खुद सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने इस खबर को बकवास करार दे दिया है. लेकिन फिर भी जिस तरह से रोज़ इस ख़बर को एक नया तूल देकर सामने लाया जा रहा है,उससे ऐसा लग रहा है जैसे किसी ग़ैर सरकारी संस्था ने ज़िम्मा ले लिया हो सेना और उसकी छवि को धूमिल करने का.
लोगों को समझना चाहिए की हमारे यहाँ का निजाम कोई पकिस्तान जैसा नहीं है की तीनो सेना की कमान एक के हाथ में है,और जब चाहे तख्तापलट कर दे. भारतीय सेना दुनिया में चौथी वरीयता प्राप्त एक सशक्त और सक्षम सेना है जिसकी बागडोर थल,जल और वायु सेना रुपी ३ चमचमती तलवार में विभाजित है जो कभी भी अपने दुश्मनों का सिर धड से अलग करने में दम रखती है.
मैं मानता हूँ की संचार के अभाव में इस प्रकार की गड़बड़ी सामने आई है लेकिन इसका ये मतलब कतई भी नहीं होना चाहिए की हम आँख बंद कर सेना और उसकी साख़ की तरफ़ ऊँगली उठा दें।
गड़बड़ी सामने आई है तो पहले उसकी पूर्ण रूप से जांच होनी चाहिए,नाकि इस तरह से इलज़ाम गढ़ देना चाहिए।
कुछ भावुक लोगों को शायद ये बात बुरी लगे लेकिन सेना की मर्यादा किसी सांसद से कम नहीं है (मुझे माफ़ करें,मैंने सांसद का अपमान किया)उनके अपमान में तो होहल्ला मच जाता है,.लेकिन यहां सेना के पक्ष के बोलने वालों में सिर्फ सुगबुगाहट ही नज़र आ रही है.
ये वक्त है हमें अपनी सोच और नीयति में बदलाव लाने की, क्योंकिसेना जैसी मर्यादित संस्था पर कीचड़ उछाल कर हम खुद अपना मुह गोरा कर नहीं गूम सकते हैं,और जिन्होंने भी सेना की साख़ और उसकी गरिमा को आहात करने की कोशिश की है उसके खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाया जाना चाहिए.
-धन्यवाद्